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Soubhagya Pattanaik

Romance

3  

Soubhagya Pattanaik

Romance

प्यार जैसा रिश्ता कहां?

प्यार जैसा रिश्ता कहां?

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जिंदगी में बहुत आएंगे जाएंगे,

पर उस हसीना जैसा फिर कभी न पाएंगे। 


दोस्त जैसा साथ निभाई वो,

बहन जैसा खयाल रखी वो।


मां जैसा प्यार करती थी,

मुझे अपना सबकुछ मानती थी। 


मैने भी सच मानकर किया बेइंतहा प्यार,

लेकिन पता नहीं चला कब उसने छोड दिया मेरा साथ? 


प्यार तो समय और मूल्य से है परे,

फिर क्यों उसकी इंतजार मैं डूब रहे?


प्यार कभी कम होती नहीं,

लेकिन वो मुझे और ज्यादा वक्त आजकल देती नहीं।


चाहता था कुछ वक्त एक साथ बिताना,

उसके बाहों मैं रोकर शिकायत जताना।

लेकिन उसने कभी मिलने का मौका न दिया,

कभी उसने एक बार खुदको छूने न दिया।


सोचा था उनके लम्हों मैं खो जाऊंगा,

लेकिन अबतो उसके होंठ भी न चख पाऊंगा।


उसके बारेमे रोज सोचता,

जितना कोई भी समझाए मैं न समझता।

उठना बैठना घूमना सब परायों के साथ करना पड़ता,

भीड़ मैं भी अकेला हो जाता। 

नहीं चाहिए कोई मुझे उसके बिना,

कास वो लौट आती और हम खो जाते एक दूसरे के अंदर ताकि सिख जाता मैं फिर से जीना।। 


कास होजाए चमत्कार और आजाए वो प्यार हमेशा केलिए,

रोज प्यार करूंगा जीवन भर केलिए।


मां कसम कभी किसी और से कोई रिश्ता न रखूंगा,

दोस्त, परिवार सब उसको ही मानूंगा।। 


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