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Soubhagya Pattanaik

Tragedy

4.5  

Soubhagya Pattanaik

Tragedy

सब पराये

सब पराये

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सोने पे दुःख कम होता नहीं,

उठने पे दुःख बढ़ जाता नहीं।

ये तो सब दिमाग का खेल है...

बाकि लोगों से खुशियां हमेशा के लिए मिलती नहीं।

लोगों के बीच भी लगने लगता अकेला 

ऐसे ही ज़िन्दगी ऊपर नीचे चलती रहेगी

चलो सो जाओ अभी फिर खुशी की सुबह आये न आये कभी।

शुक्रिया सबका जिन्होंने दिया भले ही कुछ पल का साथ, 

लेकिन सब एक न एक दिन छोड़ जायेंगे अपना ये हाथ।

यही है सच तो क्यों बना न कोई भी रिश्ता, 

सबके रस्ते अलग है छोड़ो सबका रास्ता। 

शायद मैं था हमेशा गलत ही,

इसीलिये कोई न रुका मेरे लिए कभी भी।

सब आये सब चले गए करके इस्तेमाल मेरा ही,

चलो कोई न आखिर किसी के काम आया मैं भी।


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