पुत्रवधू
पुत्रवधू
तज कर निज परिवार गोत्र,
निज सखी सहेली सारी।
कुल की वृद्धि हेतु वधु आती,
वर कुल मे मंगल भारी।।
मातु पिता को वधू ससुर अरु,
सास मे जो अनुभव करती।
बेटी सी रहती पतिगृह मे,
आंचल मे खुशियां पलती।।
वधू हमारे घर की रौनक,
हरदम उसका ध्यान रखो।
जिस घर मे सन्तुष्ट नारी हो,
उस घर की रौनक देखो।।
रिद्धि सिद्धि सम्पति सारी,
स्वयमेव वरण करती उसका।
जिस घर मे हो नारी सम्मानित,
हर कार्य पूर्ण होता उसका।।