पुष्परूपी प्रेम,,।
पुष्परूपी प्रेम,,।
पुष्प के जैसा प्रेम तुम्हारा,
श्याम, महका हुआ हैं ये जीवन हमारा,,
जिससे, महका हुआ हैं सारा जीवन हमारा,,।
पुष्प के जैसा प्रेम तुम्हारा,
महका हुआ हैं ये जीवन सारा,,
अब नहीं कोई सुगंध मन भाएं,
बस सांवरिया, मोहन चाहें,,
पुष्प के भांति महक रहीं हूं श्याम,
खुशबू बनकर चहक रहीं हूं राम,
पहले नीरस सी ऐसी थी मैं घनश्याम,
पर अब जाकर रस भरी हुई तेरे नाम,,
पहले जैसी थी मैं अब तक,
अब पहले से बदल रहीं हूं,,
पहले जहां इस दुनिया में थी,
अब श्याम रंग में यूं रंग रहीं हूं,,
ना हो कभी दूर मोहन मेरा,
चाहें सारी दुनिया दूर हों,,
ना हों कभी दूर मेरा सांवरा,
चाहें रिश्ते मुझसे कोसों दूर हों,,
इन नयनों का सुन्दर नजारा,
मेरे नदी मन का बस वहीं किनारा,
मेरे जीवन का हैं वहीं सहारा,
मेरा सांवरा, प्यारा श्याम हमारा,,
पुष्प के जैसा प्रेम तुम्हारा,
श्याम, महका हुआ हैं ये जीवन हमारा,,
जिससे, महका हुआ हैं सारा जीवन हमारा,,।
वासुदेवाय नमः
जय श्री कृष्णा,,।
राधे राधे..।
