पुरुष तुम सचमुच.....
पुरुष तुम सचमुच.....
ना किसी की बात सुनते हो ,
ना कभी कहा मानते हो,
पुरुष, तुम सचमुच कमाल करते हो,
ना जाने किन विचारों में मग्न रहते हो?
हर बार क्यों चिंताओं में खोए रहते हो?
पुरुष, तुम सचमुच कमाल करते हो,
स्वयं के दिलोदिमाग में कई राज़ छिपाकर
अपनों के सामने कैसे खिलखिला लेते हो,
पुरुष तुम सचमुच कमाल करते हो,
परिवार को खुशी के पल देने की चाह में,
लाखों,करोड़ों दुविधाओं को पाल लेते हो,
पुरुष तुम सचमुच कमाल करते हो,
संगिनी की आशाएं और बच्चों की ख्वाहिशें
उनकी खुशी को पल में संभाल लेते हो,
पुरुष तुम सचमुच कमाल करते हो,
तुम नहीं जानते कि सिर्फ खुश रहकर,
तुम अपनों को जीने का अरमान देते हो,
पुरुष, तुम सचमुच कमाल करते हो,
तुम हो तो संगीनी की देह में जान है,
माता-पिता के चेहरे पर मुस्कान है,
बच्चों का पूरा हर अरमान है,
सब कुछ बहुत अच्छे से जानते हो,
फिर भी कहा कुछ मानते हो,
पुरुष तुम फिर भी कमाल पे कमाल करते हो,
सचमुच पुरुष तुम कमाल करते हो।।