पुकार
पुकार


गिरे रिमझीम सावन
पिया मन भावन
बाट निहारू आँगन
सखी रे आये ना साजन
छाया घनघोर अंधेरा।
कौन दिशा परदेसी मोरा
राह तकत होय सवेरा
दिखे ना चित चोर जरा
तन भिगोय बारिश फुहार
मन जलाय विरह ज्वार
मैं हूँ नाव तुम मजधार
आ जा मित मोरे सुन पुकार।
गिरे रिमझीम सावन
पिया मन भावन
बाट निहारू आँगन
सखी रे आये ना साजन
छाया घनघोर अंधेरा।
कौन दिशा परदेसी मोरा
राह तकत होय सवेरा
दिखे ना चित चोर जरा
तन भिगोय बारिश फुहार
मन जलाय विरह ज्वार
मैं हूँ नाव तुम मजधार
आ जा मित मोरे सुन पुकार।