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Ajay Amitabh Suman

Drama

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Ajay Amitabh Suman

Drama

पुकार

पुकार

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सागर बहता रहता प्रशांत,

तेरे मन मे पर भँवर भँवर।

पर्वत स्थिर है अचल शांत,

तन में तेरे पर लहर लहर।


रातों को तारों की मोती,

नवकलियाँ प्रस्फुटित होती।

जब फूलों से उठते पराग ,

ना विस्मय जगा ना कोई राग।


सरसों के है पीले श्रृंगार,

सावन की है रिमझिम फ़ुहार।

जब होती झींगुर की झंकार,

नदी की धारा करती पुकार।


तब हृदय प्रेम से हिला नहीं,

कोयल की कूक सुना नहीं,

जो चाह नहीं थी ढूंढा नहीं,

कहते क्यों ईश्वर मिला नहीं।


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