पत्थर
पत्थर
वो जो कहते है हर बात पे
समझा करो ना सहा करो ना
वो क्यों नही समझते इस बात को
दर्द भी तो होती होगी इस दिल में
चुभन भी तो होता होगा इस दिल मे
कही ऐसा ना हो ऐ सनम सुन ले
के सहते सहते हम पत्थर ही हो जाए
कुछ इस क़दर तुझ से धीरे धीरे दूर हो जाए
के हो कर भी हम तेरे साथ न हो पाए
सोच ले ज़रा ऐ सनम हमारी तरह तुझे
क्या कोई दूजा ज़िन्दगी मे मिल पाएगा
कहीं हम कहीं खो न जाए हमेशा के लिए।