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Santosh Kumar Verma

Romance

3  

Santosh Kumar Verma

Romance

पत्र जो लिखा

पत्र जो लिखा

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पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं

सहेजा अपने अंतर्मन तक

कागजी दुनिया में सहेजा नहीं

बहुत कुछ कह रही थी।

 

मेरी दोनों आंखें 

तुमने ही उसे समझा नहीं

थामकर रखा था जिन  

आंसुओं को आंखों में अपने।


तेरे बारे में समझाकर कि तू समझेगी 

तेरी जुदाई से अश्क गिर पड़े आखिर

जो हर दिन बरसते फिर थमा ही नहीं

तेरे बाद मिले मुझे कितनी ही हसीन।


पर मेरे नजर में तुझ जैसा कोई

जमा ही नहीं

पत्र जो लिखा मगर भेजा नहीं

सहेजा अपने अंतर्मन तक

कागजी दुनिया में सहेजा नहींं।


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