पतझड़ जरूरी है
पतझड़ जरूरी है
उसकी अजमत़ पर कयास मत लगा
पासवान है तेरा, एहतिराम कर उस पर
क्यों शिकस्ता होता है,
हौसला रख खुदा के बंदे
तूने रौंदा है उसके चमन को,
तूने उजाड़ी उसकी कायनात
इसलिए दर्श भी जरूरी है
फिर गुलजार होगी फिज़ा ए जिंदगी
हर मौसम की तरह यह पतझड़ जरूरी है।