पथ प्रदर्शक
पथ प्रदर्शक


प्रत्येक संस्कृति की
चाहे वो गाँव की हो
या कोई नगरीय,
एक यात्रा होती है।
परम्परा पहिये है,
इस यात्रा में,
एवं, प्रेम है
पथ प्रदर्शक।
यदि पहिया
उसी मार्ग पर जाये
जो प्रेमानुकूल है
यात्रा सुखद होगी।
यदि मार्ग प्रतिकूल हो
प्रेम का साथ छूट जाये
फिर, ऐसी संस्कृति का
पतन अवश्यम्भावी है।