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Dheeraj kumar shukla darsh

Tragedy

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Dheeraj kumar shukla darsh

Tragedy

पश्चिमी मारूत

पश्चिमी मारूत

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पूर्व की संस्कृति ने, रूख किया पश्चिम का

कैसी ये हवा चली, मिटा भाव संस्कार का


वसन छोटे हो गये, फैशन चला पश्चिम का

पश्चिमी मारूत ने, मिटा दिया सबकुछ यहाँ


व्यक्ति की पहचान आज, वस्त्रों से होती है

मानते हैं जिन्स, ट्राउजर, पहना गलत नहीं है


लेकिन संस्कारों की रक्षा, ये भी तो फर्ज है

हमारी तो पहचान भी, संस्कार हुआ करती थी


आज चढ़ा दी है बलि ,संस्कारों की अपनी

पश्चिमी मारूत ने, रूख जो भारत का किया


संस्कारों से तिरोहित, युवाओं को किया

इस हवा के साथ साथ, चलना है अब हमें


संस्कारों से ही अपने, जीवन चलाना है हमें।


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