पर्यावरण
पर्यावरण


धूल, मिट्टी, कंकड़, पत्थर
जीवन को दे रहे हैं प्रदूषण।
स्वस्थ दिल और दिमाग का
किंचित भी नहीं, यह आभूषण।।
स्वार्थ के कारण हम
काट रहे जंगल
और मना रहे मंगल।
नहीं जानते क्या
धड़कन की प्राणदायिनी
का है, यह अमंगल।।
दोस्तों कहीं पढ़ा था
वृक्ष लगाओ, पुण्य पाओ।
आकृष्ट नहीं करता क्या यह
जीओ और जीने दो।।
प्रकृति ने किये हैं
कितने उपकार हम पर।
हम पर्यावरण को कर दूषित
न्याय कर रहे हैं क्या धरा पर।।
सुर मिलाओ सावन की घटा के साथ
नगमें गाओ पहाड़ी नदी के साथ।
स्वच्छ जीवन और पानी से
श्रृंगार करो,पर्यावरण के साथ।।
उन्नति, प्रोन्नति, उद्योग की
क्या कीमत है, मानव की।
चिमनियों से, निकलता धुआँ
क्या निशानी है, इंसानियत की।।
संसाधन का कर दोहन
पर्यावरण के साथ।
मशीन और इंसा को लाये
आत्मनिर्भरता के पास।।
प्लांट का गंदा पानी
ना करे खेती को बर्बाद।
कुछ ऐसा करें जतन
पर्यावरण व खाद्यान्न, रहे आबाद।।
हरा भरा हो जीवन
पतझड़ का ना हो अंबार।
जीवन का गुलशन महके
पाये पर्यावरण की सौगात। ।
अवध और अंबर महकेंगे आओ
मिलकर प्रदूषण का करें निदान।।