पर्यावरण-ध्यान
पर्यावरण-ध्यान
पर्यावरण का रखो, तुम ध्यान
जीवन मे आयेगी, तुम्हारे जान
मिट जायेगी, बीमारियां तमाम,
प्रकृति का दिल से करो, सम्मान
ख़ूब ही पेड़-पौधे, वृक्ष लगाओ,
धरती माँ को हरा-भरा बनाओ,
जीवन नही रहेगा, कभी वीरान
पर्यावरण का रखो, तुम ध्यान
पर्यावरण देगा, तुम्हे वरदान
जितना पर्यावरण शुद्ध होगा,
उतना ही मनु सुरक्षित होगा,
यह पर्यावरण ही देगा, वो दान
जिससे हमारा होगा, कल्याण
पर्यावरण का संतुलन बना रहा,
फिर, बनेगा सुरक्षा कवच महान
पर्यावरण का रखो, तुम ध्यान
पर्यावरण रखेगा, तुम्हारी कान
न होगी कभी ऑक्सीजन कमी,
इतना वृक्षारोपण करो, इंसान
इसकी कमी से न मरे, इंसान
धरती बन जायेगी, परिस्तान
गर रखेंगे पर्यावरण का ध्यान
मिटेगी इस धरा से हर बीमारी,
कोरोना की क्यों न हो महामारी,
पर्यावरण बनाएंगे, सुदृढ चट्टान
नही रहेगा फिर कहीं रेगिस्तान
सही ढंग से पढ़ें, पर्यावरण ज्ञान
धरती बनेगी फिर तो गुलिस्तान
न रहेगा हमारी प्यारी धरती पर,
किसी बीमारी का नामोनिशान
यदि पर्यावरण का रखेंगे, ध्यान
चेहरों पर होगी, सच्ची मुस्कान
पर्यावरण देगा, ऐसा वरदान
जिस दिन हमको हकीकत में,
प्रकृति में न लगेगा, कोई बेजान
उसदिन से कोई भी न कहेगा,
यह पर्यावरण है, निर्जीव इंसान
पर्यावरण में भी होती है, जान
बिना इसके हम सब है, बेजान
पर्यावरण से मिला, जीवनदान।