Sanjay Pathade Shesh
Drama
वे
आजकल
बहुत प्रसन्नचित्त
नजर आ रहे हैं,
क्योंकि
अपने सारे
विरोधियों को
चारों खाने चित्त पा रहे हैं।
रेवड़ी
जनप्रतिनिधि
अजब दौर है
आदत
श्रद्धा बनाम ...
मोहरा
मोहरे
विश्वास
आश्वासन
हाइकू रचनायें
इतिहास पलटकर रख दूँगी मैं वो जज्बा भी रखती हूं। इतिहास पलटकर रख दूँगी मैं वो जज्बा भी रखती हूं।
मंदिर में बजती घंटी की ध्वनि, टिक-टिक करती घड़ी की सुइयां, मंदिर में बजती घंटी की ध्वनि, टिक-टिक करती घड़ी की सुइयां,
फिर से अपने भारत को महान एक बार तुम बनाओ ना। फिर से अपने भारत को महान एक बार तुम बनाओ ना।
पतले घुँघराले इसका भी कोई पैमाना हो तो नजर आना जरूरी है पतले घुँघराले इसका भी कोई पैमाना हो तो नजर आना जरूरी है
पर "हमेशा मैं ही क्यों ? इस सवाल के आगे झुक जाते है। पर "हमेशा मैं ही क्यों ? इस सवाल के आगे झुक जाते है।
वो भूल की माफी सा हो, तपती दोपहरी में चंदन सी ठंडक सा हो, वो भूल की माफी सा हो, तपती दोपहरी में चंदन सी ठंडक सा हो,
यूं काश किसी से इन राहों में ऐसे ही मुलाकात हो। यूं काश किसी से इन राहों में ऐसे ही मुलाकात हो।
कभी तो टकराएँगे ये सोच...हम उनका इंतज़ार कर रहे थे। कभी तो टकराएँगे ये सोच...हम उनका इंतज़ार कर रहे थे।
इश्क़ की गलियों में चर्चे आपके हैं हम तो यूँ ही, बदनाम हैं हुज़ूर। इश्क़ की गलियों में चर्चे आपके हैं हम तो यूँ ही, बदनाम हैं हुज़ूर।
बेरंगों में, एक रंग इंसानियत का भी उसने लगाया ! बेरंगों में, एक रंग इंसानियत का भी उसने लगाया !
तोड़ कर सारी बंदिशें ऐ दिल क्यों तू इतना आज़ाद हो गया। तोड़ कर सारी बंदिशें ऐ दिल क्यों तू इतना आज़ाद हो गया।
मैं हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़ा असमंजस में हूँ पड़ा, मैं दोराहे पर हूँ खड़ा, कब तक रहूँ मै मैं हाथ जोड़ तेरे द्वार खड़ा असमंजस में हूँ पड़ा, मैं दोराहे पर हूँ खड़ा, ...
कोयल भी आज देखो कैसी मुस्कुराई है, किसी के आंगन में आज बाजी खुशी की शहनाई है। कोयल भी आज देखो कैसी मुस्कुराई है, किसी के आंगन में आज बाजी खुशी की शहनाई है।
फिर भी " कुछ भी तो नही में तुम्हारा " कहकर यूँ तुम्हारा मुझे सताना फिर भी " कुछ भी तो नही में तुम्हारा " कहकर यूँ तुम्हारा मुझे सताना
चाहते नहीं तुम कि हम साथ हों तुम्हारा हमसफ़र बदलना अभी बाकी है चाहते नहीं तुम कि हम साथ हों तुम्हारा हमसफ़र बदलना अभी बाकी है
मैं क्या लिखता कोरे पन्ने पे, वो तो मुझे अपना मानती थी ! मैं क्या लिखता कोरे पन्ने पे, वो तो मुझे अपना मानती थी !
उनकी आंखों में रुके आसुओं को मैंने देखा था। उनकी आंखों में रुके आसुओं को मैंने देखा था।
मायूसियत तुम्हारे कदमों के जाने की तड़प दिल को उलझाती रहेगी। मायूसियत तुम्हारे कदमों के जाने की तड़प दिल को उलझाती रहेगी।
अपनों ने जब पराया कर दिया हमे, तब, हमे खुद की एहमियत समझ आई थी। अपनों ने जब पराया कर दिया हमे, तब, हमे खुद की एहमियत समझ आई थी।
हर रिश्ते का अलग जुड़ाव हर रिश्ते का अलग रख रखाव। हर रिश्ते का अलग जुड़ाव हर रिश्ते का अलग रख रखाव।