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Vihaan Srivastava

Abstract

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Vihaan Srivastava

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परोपकार

परोपकार

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इस जगत की है महत्ता दो जहां का नूर है

जो सभी का कर भला कहे रास्ता अभी दूर है।


इसकी छवि से ही लोगों का हर स्वार्थ चकनाचूर है

धर्म का संदेश है वो ही कोहिनूर है।


दीनों की है वो जरुरत दानी का सुरूर है

लोभी और घमंडी के लिए फितूर है।


ज़िन्दगी में ना सही जरूरतों में जरूर है

हर दिलासे में उम्मीदे हौंसले में हूर है।


इसको महज लोगों की भलाई ही मंजूर है

भावों और निष्ठा से सदा मजबूर है।


नेकी और सहयोग के लिए मशहूर है

नर्म हृदय की तसल्ली दयालु का गुरूर है।


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