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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract Action Inspirational

प्रलय की आती पदचाप

प्रलय की आती पदचाप

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प्रकृति के पोषण-संरक्षण को यूं भुलाना,

पड़ जाएगा हमारे ही अस्तित्व पर भारी।

महसूस करें प्रलय की आती पद चाप को,

शोषण रोक-रक्षण की करें सार्थक तैयारी।


होता है भयंकर खतरों का ,

कुछ पूर्व संकेतों से आभास।

छठी इंद्रिय की सक्रियता,

कुछ कराती है यह अहसास।

एक-दो से न चल सकेगा काम,

मिलकर करनी है सामूहिक तैयारी।


प्रकृति के पोषण-संरक्षण को यूं भुलाना,

पड़ जाएगा हमारे ही अस्तित्व पर भारी।

महसूस करें प्रलय की आती पद चाप को,

शोषण रोक-रक्षण की करें सार्थक तैयारी।


सूखा-बाढ़ भूकम्प-सूनामी आदि से,

समय-समय पर प्रकृति हमको चेताती।

विविध आपदाएं छेड़छाड़ का फल हैं,

पर्वत- मैदान- सागर में कुप्रभाव दर्शाती।

जो जानकर हम अनजान बने जो रहेंगे,

तो कीमत हमें चुकानी पड़ेगी बड़ी भारी।


प्रकृति के पोषण-संरक्षण को यूं भुलाना,

पड़ जाएगा हमारे ही अस्तित्व पर भारी।

महसूस करें प्रलय की आती पद चाप को,

शोषण रोक-रक्षण की करें सार्थक तैयारी।


धरती का बढ़ रहा ताप

 पिघलती है हिम आप।

विषैली वायु-नीर-धरा ,

प्रदूषित करते हम आप।

किसी और की नहीं ये,

बड़ी ही भूल है हमारी।


प्रकृति के पोषण-संरक्षण को यूं भुलाना,

पड़ जाएगा हमारे ही अस्तित्व पर भारी।

महसूस करें प्रलय की आती पद चाप को,

शोषण रोक-रक्षण की करें सार्थक तैयारी।


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