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Soni Gupta

Abstract

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Soni Gupta

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प्रकृति सन्देश

प्रकृति सन्देश

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प्रकृति के कण –कण में सुंदर रूप समाया है,

अब प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया हैI

पृथ्वी की गोद में पनपती प्रकृति सारी,

आज पृथ्वी की गोद हो रही है सूनी।


प्रकृति कहती हमसे ये कैसी आहट है,

क्यों मुझे नष्ट करने की तुम्हे चाहत हैI

सुन मनुष्य, मैंने हमेशा सीखा देना है,

पर तुमने प्रकृति से हमेशा छीना है।


मैंने कई –कई बार तुम्हे चेताया है,

मुझे नष्ट करना है घातक तुम्हे बताया हैI

हमेशा तुमने किया है प्रकृति से खिलवाड़,

तुमने अपने मन की इच्छाओं को किया पूर्ण।


और वही किया जो अच्छा था तुम्हारी दृष्टि में,

देखो अब मचा गया है कोहराम पूरी सृष्टि मेंI

पूरी पृथ्वी पर एक ऐसा दौर आया है,

जब मनुष्य, मनुष्य से मिलने से कतराया है।


बढ़ती महामारी से सभी लोग आज त्रस्त हैं,

सबके सम्मुख खड़ी यह विकट समस्या है I

प्रकृति के कण –कण में सुंदर रूप समाया है,

अब प्रकृति ने अपना रौद्र रूप दिखाया है।


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