प्रकृति से खिलवाड़
प्रकृति से खिलवाड़
हम किसको,क्योंं और क्या मैला कर रहे हैं,
हम खुद अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं।
जीव भक्षण कर रहे हैं,बेजुबां को मार रहे हैं,
जल दूषित कर रहे हैं,फालतू यूँ बहा रहे हैं।
प्रकृति को पेटेंट मान दुरूपयोग कर रहे हैं,
खेलों को भूल पर्यावरण से खिलवाड़ कर रहे हैं।
यूँ ही चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं हमसे,
हम लाचार होंगे,प्रकृति हम पर हँस रही होगी।
अभी तो बस एक कोरोना से लड.रहे हैं
आगे हजारों कोरोनाओं से जूझ रहे होंगे हम।
