मेरा दर्द
मेरा दर्द
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अफवाह ये शहर में फैली है
कि मुझे कोई दर्द नहीं होता।
कभी मिलकर जानों ये हाल,
मुझे भी दर्द बेहिसाब होता है।
कभी जी करता है चिल्लाऊँ मैं,
अपना रो के दुखड़ा सुनाऊँ मैं।
जो दर्द दफन है सालों से मेरे,
उसे उजागर कर दूँ जहाँ में मेरे।
पर फिर अहसास जागता है,
यारों ये दिखावटी दुनिया है।
दर्द को दफन ही रहने दो यहाँ ,
दर्द जल्दी किस्से बनते हैं जहाँ।
