पायल
पायल
पायल, पाजेब और पैंजनी, अनगिनत नाम पाए हैं
चाँदी सी चमकती दमकती अनोखा स्त्री श्रृंगार है
मैं वनिता के पैरों में सजी-धजी छनकती रहती हूँ
मैं चाँदी की घूंघरू वाली खनकती सुंदर पायल हूँ
दो हँसों के जोड़ो की तरह साथ रहती हूँ मैं सदा
गर एक जुदा हो जाये तो दूजे का अस्तित्व जुदा
मैंने घुंघरूओं को साथ रहना बजना सिखाया है
बिखरने पर घुँघरू किसी काम के नहीं रहते कभी
सौन्दर्य हूँ, संगीत हूँ, श्रृंगार हूँ, अल्फाज हूँ और राज
मीरा के घूंघरू तो राधा के पायल की ताल हूँ मैं
प्रेमियों के दिल की धड़कन बढ़ा दे वो ताज हूँ मैं
रात अंधेरे बजने लगे तो खुल जाये वह राज हूँ मैं।