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Radha Gupta Patwari

Abstract

4.6  

Radha Gupta Patwari

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बचपन की राखी

बचपन की राखी

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60


रक्षाबंधन का खूबसूरत भाई-बहन का त्यौहार,

लिए हजारों अनगिनत अटूट स्नेह भरा प्यार,

थोड़ा लड़ना, थोड़ा झगड़ना, थोड़ा चिड़ाना,

थोड़ा मनाना पर लिए ढे़र सारा स्नेहिल प्यार,

बहुत याद आता है वह मासूम सा बचपना।


राखी बँधवाकर शगुन का लिफाफा न देना,

मुँह मीठा करवाने पर हाथ का काट खाना

वो हरदम चोटी खींचकर चिड़ाकर भाग जाना,

वह बहन का शिकायत कर झूठ-मूठ रोना,

बहुत याद आता है वह मासूम सा बचपना।


माँ से डाँट पड़वाना फिर बाद में बचाव करना,

तेरी विदाई में नहीं रोऊंगा कहकर धौंस जमाना,

पर चुपके से कोने में अपने धीरे से आँसू पोंछना,

डोली अपने काँधे उठाकर पिया घर पहुँचाना,

बहुत याद आता है वह मासूम सा बचपना।


मुश्किल आने पर साथ देने का वचन देना,

तेरा भाई हूँ कहकर तसल्ली देकर हँसाना,

अब राखी पर भाई से मिलने को तरसना,

दूर रहकर उसके स्वास्थ्य समृद्धि की कामना,

बहुत याद आता है वह मासूम सा बचपना।



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