प्रकृति के नियमों से छेड़छाड़
प्रकृति के नियमों से छेड़छाड़
1 min
387
प्रकृति के साथ हम क्यों खेल रहे हैं,
गर यूँ प्रकृति के साथ खेलते रहेंगे,
तो मानवता को यूं ही खोते रहेंगे,
कभी चक्रवात से तो
कभी ऑक्सीजन के लिए लड़ते रहेंगे,
बढ़ते शहर झीलो को भी लील रहे हैं,
प्रकृति के साथ तो हम ही खेल रहे हैं
प्रकृति है तो वायु है,
प्रकृति से ही तो दीर्घायु है,
क्यों ना इस दौर से एक सबक लिया जाये,
हर एक छोटी खुशी में एक नया पेड़ लगाया जाए।