इश्क में नीलामी
इश्क में नीलामी
मैंने इश्क मे लोगो को नीलाम होते देखा है,
मोहब्बत में इज्ज़त को तार तार होते देखा है,
इश्क के इस बेवफा दौर में वफादार होते देखा है,
मैंने आशिको काे मोहब्बत में रोते बार बार देखा है,
जिनका मिलना खुदा मंजूरी लगती थी,
उनका बेबस बिछड़ना भी मजबूरी लगती थी,
बेन्तिहा मोहब्बत में अश्रुओ की नदिया हर रोज़ बहती थी
लोग जिन्हें हमेशा साथ रहने का दुआ देते है
मैंने उनके सपनो को भी धुआँ होते देखा है
मैंने अपनो काे ही टुटते हुऐ देखा है

