प्रलय का खंजर
प्रलय का खंजर
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यह कैसा प्रलय का मंजर है
कहीं महामारी से तो कहीं चुभा इंद्र का खंजर है
ना जाने यह कैसी भगवान की लीला है
आसमान नीला और इंसान डर से पिला है
मानो संसार का अंत समीप आ गया है
लगता है ईश्वर भी मानव से तंग गया है
हे ईश्वर हमें क्यों इतना सता रहा है
एक शस्त्र छोड़ दूसरा शस्त्र चला रहा है
महामारी से तो उभरे नहीं
फिर क्यों चक्रवात का चक्रव्यूह चला रहा है
