प्रकोप
प्रकोप
आज सारा विश्व बना वासुदेव कुटुम्बकम, हर प्राणी बोले एक ही नाम,
सबको डर है एक ही चीज़ से, सब माने ठीक होती एक ही उपाय से,
राम रहीम नानक ही नहीं, येसु भी है छुट्टी पे।
सबका ध्यान में एक ही नाम, सब क्यों करते इसे सलाम।
एक जुट हो कर सब जग में।
व्हाट्सएप्प हो या ट्विटर, फेसबुक में, पोस्ट एक है प्रेकौशन एक है,
सबका देखो खौफ एक है, धर्म जाती समाज सब एक है,
सब को देखो फैलती ये एक है स्वच्छता से ये डरती है,
गर्मी से भी इसे ख़ौफ़ है।
हाथ जोड़ कर मिलो सभी से, हाथ मिलाने से ये फैलती है।
कॅरोना ये बड़ी जालिम है, छींक, थूक से सर्वव्यापी है,
जग इससे खौफ ज़दा है, पर इसके प्रहार से कहाँ बचा है।
प्रकोप इसका जग पे है कहर ढाया।
न सिर्फ इंसान, सामान भी, इसके फैलाने का कारण बनी है।
चलो सब एक जुट होकर अभियान चलाएं, स्वच्छ भारत ही नहीं,
विश्व को बनाए एकजुट होकर भी, दूरी हम रख कर,
चलो कोरोना को हम भगाएं।।।