परख
परख
इस तरह से परखा है मैंने उसको,
लाश देख कर भी मेरा नहीं रोयेगी वो।
चिता को जब लगेगी आग मेरे तो,
उस समय भी चैन की नींद सोयेगी वो।
आंसू जो कभी गलती से उसकी आँखों में आ गए,
रिश्ता ये दिल का था ये भी नहीं सोचेगी वो।
कसूरवार वो भी है मेरे इस दीवानगी के लिए,
पर सारी गलतियाँ मुझ पर ही थोपेगी वो।
