प्रियवर
प्रियवर
गेसू में पिरोये
स्नेह के पुष्प
तुम सोंधी सोंधी खूश्बू
श्वासों में भरकर
शीघ्र लौट आओ
प्रियवर..
यहां मौसम रूठा रूठा है
नदियां सूखी सूखी है
रास्ता उखड़ा उखड़ा है
तेरे प्रतिक्षा करती हुई ।
गेसू में पिरोये
स्नेह के पुष्प
तुम सोंधी सोंधी खूश्बू
श्वासों में भरकर
शीघ्र लौट आओ
प्रियवर..
यहां मौसम रूठा रूठा है
नदियां सूखी सूखी है
रास्ता उखड़ा उखड़ा है
तेरे प्रतिक्षा करती हुई ।