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Mohanjeet Kukreja

Romance

4.5  

Mohanjeet Kukreja

Romance

परिवर्तित दृष्टिकोण

परिवर्तित दृष्टिकोण

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तुम्हें बेवफ़ा कहूँ भी तो कैसे?

ज़ुबाँ साथ दे भी दे अगर

दिल इसकी इजाज़त नहीं देता!

क्योंकि दिल समझदार है...

कुछ कहने लायक़ मैं हूँ कहाँ?


जो मैंने किया तुम्हारे साथ -

वह भी तो 'वफ़ा' कहाँ था?

मुझे ग़म नहीं, ख़ुशी ही है

इस उथले से बन्धन के

तुम्हारी ओर से तोड़े जाने पर…!





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