STORYMIRROR

मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance

2  

मोहनजीत कुकरेजा (eMKay)

Romance

परिवर्तित दृष्टिकोण

परिवर्तित दृष्टिकोण

1 min
289

तुम्हें बेवफ़ा कहूँ भी तो कैसे?

ज़ुबाँ साथ दे भी दे अगर

दिल इसकी इजाज़त नहीं देता!

क्योंकि दिल समझदार है...

कुछ कहने लायक़ मैं हूँ कहाँ?


जो मैंने किया तुम्हारे साथ -

वह भी तो 'वफ़ा' कहाँ था?

मुझे ग़म नहीं, ख़ुशी ही है

इस उथले से बन्धन के

तुम्हारी ओर से तोड़े जाने पर…!





Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance