प्रित की डोर
प्रित की डोर
तुम संग जुड गयी प्रित की डोर
कुछ नही समझे दिन हो या भोर
तनहा तनहा गुजरे तेरे बीना हर पल
सोच ना पाये हम कैसे बितेगा ये कल
राह पर आखें बिछाये बैठे है आज हम
इजहार प्यार का करके लेंगे आज दम
प्यार के राही है हम मिलके चलेंगे साथ
मंजिल पाएंगे जब होगा हाथ मे हाथ।