प्रीत
प्रीत
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रख लो मुझे
तुम पलकों में
मैं भूले से ना
भटक जाऊँ
तेरी जुल्फों के
ही साये में,
मैं चैन से अपनी
रात बिताऊँ !!
उठकर मैं तेरी
छवि देखूं
आनंदित झट
से हो जाऊँ ,
मिलने की निशदिन
चाह लिए
काश करीब
मैं आ जाऊँ !!
सुने में तेरी
क़दमों की आहट
एहसास मुझे
भी होता है
एक क्षण ही नहीं
सारी रातें
तेरे बिन मेरा
यूँ कटता है !!
जो प्रीत लगी है
तुमसे मुझे,
वह कभी मलिन
ना हो पाए !
परिमल फूलों से
ना बिछुड़ सके
जीवन भर
यूँही मुसकाये !!