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Kalyani Das

Romance

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Kalyani Das

Romance

प्रीत पुरानी

प्रीत पुरानी

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तुझ संग प्रीत पुरानी

क्यूं बिसराऊं?

गुजर रही तेरी यादों संग जिंदगानी

क्यूं बिसराऊं?

तुझ संग गुजारी थी कभी

वो शाम सुहानी..

क्यूं बिसराऊं?


जिस पल में तू नहीं

उस समय की धारा में

क्यूं बह  जाऊँ?

तेरी वो मीठी सी छुअन

वो सिहरन रूमानी

क्यूं बिसराऊं?


दर्द बन कर धड़कता है जो दिल में

वो इश्क़ रूहानी..

क्यूं बिसराऊं?

तुझमें देखूं मैं रब अपने

ऐसा तेरा चेहरा नूरानी

क्यूं बिसराऊं?



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