प्रीत की रीत
प्रीत की रीत


मेरी उम्मीदों की डोर तुझसे ही
मेरी खुशियों की भोर तुझसे ही
मेरा आशियाना, मेरा किनारा है तू
मेरी आंखों का पानी, मेरी आदत है तू
तेरे बिना यह जहां जहां ही नहीं
मेरे ख्वाबों में तू न आए यह संभव नहीं
तुझे चाहूं इस कदर चाहत है जिस कदर
तेरे जहां का सितारा हूँ मैं बेखबर ।
प्रीत की रीत निभाता चला
अपनी राहों का मुकद्दर तुझे बनाताा चला
रिश्तों की गहराई समझता हूँ चला।