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SURYAKANT MAJALKAR

Abstract

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SURYAKANT MAJALKAR

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पढ़ाई -लड़ाई

पढ़ाई -लड़ाई

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एक दोस्त पुराना 

चाय की दुकानपर मिला था

बातों का सिलसिला 

घंटोतक चला था


पढ़ाई के मामले में

अव्वल नंबर था

पहिली बेंचपर 

हमारा हक था


लास्ट बेंचर्स बदमाश थे

हर सबजेक्ट के टीचर्स खास थे

कोई बहुत बातुनी

कोई सुनाये कहानी

कोई ज्यादाही कड़क

कोई मेकअप से भड़क ।


खुब मस्ती चलती थी।

मुझे भाषा में दिलचस्पी थी।

कोई खेलकूद में अव्वल था।

कोई सौ में सौ एक नंबर था ।


आख़री साल दसवीं का था ।

अब बिछड़ने का वक्त आया था।

फेअरवेल पर हम सब रोये ।

टीचर्स ने भी आँसू बहाये ।


अभी कभी जब कोई दोस्त मिलता।

समय का बिलकुल पता न चलता।



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