प्रेयसी
प्रेयसी
समुन्दर में कश्तियाँ,
किनारे को तलाशती है।
पहाड़ों में नदियाँ,
समुन्दर को तलाशती है।
अंधेरों में साया,
रोशनी को तलाशता है।
वन में हिरण,
कस्तूरी को तलाशता है।
उपवन में भँवरा,
फूलों को तलाशता है।
काली घटायें,
हवाओं को तलाशती है।
तेल और बाती,
दीये को तलाशती है।
राधा संग गोपियाँ,
मोहन को तलाशती है।
जैसे प्रेयसी अपने,
प्रियतम को तलाशती है।
जैसे प्रेयसी अपने,
प्रियतम को तलाशती है।।