प्रेमीयुगल को प्रेम से सरोकार
प्रेमीयुगल को प्रेम से सरोकार
प्रेमसिक्त होकर दो अपरिचित मिलते हैं;
बड़े ही सौभाग्य से और बड़ी तकदीर से !
ना जाने कब और कैसे दो अनजान दिल;
बंध जाते है भावनाओं की एक जंजीर से।
रिश्ते नाते प्रीत के होते कुछ अनकहे;
सच्चा प्रेम सागर की गहराई जैसे बहे !
मौन रहकर कौन ह्रदय की पीड़ा सहे;
अंतस का प्रेम छलकने लगता गहे-गहे !
एक दूजे का साथ हो तो सब स्वीकार है;
विश्वास भी प्रीति का एक सुदृढ़ आधार है;
जोड़ दे जो दिलों को वही तो सच्चा प्यार है !
प्रेमी युगल को तो बस प्रियहित से सरोकार है !