प्रेम
प्रेम
कहीं पर डाका कहीं पर चोरी है
यहांँ बस प्यार की तिजोरी है
कोई लाठी नहीं यहांँ उठाता
हाथ में प्रेम की कटोरी है
बोल नफ़रत की ना कोई बोले
तुम जो सुनते हो वो मांँ की लोरी है
लूटने वाले तुम आना जब जी करे
हिसाब की किताब यहांँ कोरी है
इक बार आओगे तो बंध जाओगे
प्रेम की बड़ी अटूट डोरी है.