प्रेम
प्रेम
जिनके हाथ सने खूनों से
प्रेम उन्हें सिखलाना है,
केवल वाद्ययंत्रों से नहीं अब
हथियारों से भी संगीत उपजाना है,
मानव के बीच छुपे दानव को
अब इंसान बनाना है !
जो मरा नहीं था गोली से
वही आज मरा है कड़वी बोली से
आओ प्रेम का आगाज़ करें
अब नफरत की होली से
जिसे सदाचार का ज्ञान नहीं
अच्छे-बुरे की पहचान नहीं
बस चलता-फिरता ढांचा है
वास्तव में वह इंसान नहीं।