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Vishnu Singh

Drama

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Vishnu Singh

Drama

प्रेम मानसी वंसत और गुलाब

प्रेम मानसी वंसत और गुलाब

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प्रेम का महीना

प्रेम के फूल

प्रेम की बातें

और प्रेम का साथ


बस इतनी ही

ख्वाहिश है मानसी

मन वसंत हो गया है

प्रेम के आग़ोश में है


ये कह रहा है

फूलों के न खिलने पर

प्रेम तो कम नहीं न होगा


जानती हो प्रेम के

इस महीने में एक दिन,

गुलाब को भी समर्पित है


वो इसलिए कि

गुलाब खिलता है

महकता है चहुँओर


पर ये रहता है काँटों संग

वैसे ही जैसे हमारा

प्रेम रहता है कई


सवालों और समस्याओं संग

खूबसूरत फिर भी,

हमारे प्रेम की तरह


गुलाब हैं हम

गुलाब है प्रेम

गुलाब है ये हमारा मन।


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