मानसी वसंत
मानसी वसंत
आता हूँ लौट कर मैं
हर बार तुम्हारे पास
जीवन की प्राणवायु तुम हो
बिना प्राणवायु के हम कहाँ
यही नाता है हमारा
तुम भी इसी वृक्ष की तरह हो
जो मुझे हर बार पुकारती है
पतझड़ में गिरे पर्ण
मेरे ग़म को दर्शाते हैं
वसंत में नए पत्तों का आना
मन को हर्षित करता है
मेरे प्रेम में ही है ये वसंत
हर पल जीवित
तुम्हारा विश्वास और
अटूट साथ है हर पल
जीवन के लिए प्रेम
जीवन में प्रेम
और जीवन से प्रेम के लिए
मानसी तुम्हारा साथ
पल-पल है जरूरी।

