Satyendra Gupta

Abstract

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Satyendra Gupta

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प्रेम कविता

प्रेम कविता

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आओ सुनाऊं तुम्हे अपनी प्रेम कहानी

दिल में थी कसक वो थी प्रेम दिवानी

मैं उसका कान्हा था, वो मेरी राधा रानी

मैं था उसकी दीवाना, थी वो मेरी दीवानी

आओ सुनाऊं तुम्हें अपनी प्रेम कहानी।


ना जाने देखकर उसे बाँसुरी थे बजते दिल में

धुन सुनकर वो आ जाया करती थी मिलने

दिल की नजर से थे देखते, मन से बात करने

मैं थी था मुस्कुराता, देख वो भी लगती मुस्कुराने

ना मैं था अनजाना, ना वो थी अनजानी

आओ सुनाऊं तुम्हे अपनी प्रेम कहानी।


हम दोनो का खाना खाना होता जब साथ में

लगता दो दिल मिल रहे, आपस की जज्बात में

एक दूसरे को खुद से खिलाना, उतने ही प्यार में

जब भी देखता कोई , जब भी हम दोनो को

कहता कौन है दोनो अनजाना और अनजानी

आओ सुनाओ तुम्हे अपनी प्रेम कहानी।


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