प्रेम की गंगा
प्रेम की गंगा
ज़माने की सोच जैसे को तैसा,नहले पे दहेला,
जिंदगी की इस रेस मे, तू नही मैं पहला।
मै जीता तू हारा,तेरा एक तो मेरा दस;
और यूं ही जिंदगी तमाम हो जायेगी बस।
छोड़ो, मिटा दो वार पे वार का ये सिलसिला,
हार जीत का , तू तू मैं मैं का ये जलजला।
बहा दो प्रेम की गंगा,बिखेर दो प्यार का फवारा।
बना दो जीवन जन्नत सा,और बना दो मौसम प्यारा।