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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

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Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Classics

प्रेम का गीत

प्रेम का गीत

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प्रेम प्रीत जहां के गीत, गाते आये लोग,

कोई इसे प्यार कहता, कोई बताये रोग,

प्यार में जल्दी रूठ जाते हैं अपने प्यारे,

पर संत बता रहे प्यार हो विलास भोग।


कभी लैला रूठा करती, मजनूं उसे मनाए,

कभी दोनों हँसते रहते, कभी वो गीत गाए,

रूठने मनाने का, सिलसिला सदियों पुराना,

ज्ञान मिले संसार का, जो दिल कभी लगाये।


दिल के जो पास होते, वो रूठा करते जरूर,

प्यार जहां का मिले तो, करना कभी न गरूर,

सारे प्यार को दिल में भर लू, होती है चाहत,

प्रेमी युगल वहीं होते हैं, जो दिल से ना दूर।


हीर रांझा की जोड़ी भी, जग में बड़ी मशहूर,

मिलते थे जब आपस में, चेहरे पर मिले नूर,

वो भी कभी रूठते थे, फिर हो जाते थे एक,

रांझा छैला कहलाया, हीर भी थी एक हूर।


जो जितना रूठता है, उतना दिल के हो पास,

दिल के आइने में देखो, कौन कौन हैं खास,

मन मंदिर में बसाके रखना, प्रियतम हो खूब,

अपनी अपनी चाहत है, किसे क्या आये रास।


कितने ही युगल हुये, जग में जोड़ी हो नाम,

सोहनी महिवाल हुये, या जोड़ी राधा श्याम,

शीरी फरियाद हुये जहां में बस प्रेम से काम,

खासमखास जोड़ी हुई, पवित्र हुये जैसे धाम।


जल्दी रूठ जाते हैं, करते रहते जो वादे खास,

अदम्य साहस मिले दिल में, आता है वो रास,

नहीं कोई जग में ऐसा, जो प्रेम में मिले उदास,

आशक्ति के परिणति, बन सकता है जन दास।


जल्दी रूठ जाते हैं, दोस्ती जिनकी होती पक्की,

दिल में मैल भरा हो तो, बन जाती है वो कच्ची,

आज जहां में सिर चढ़ बोले, प्यार मानते नाम,

हर चीज झूठी हो सकती, प्यार की दोस्ती सच्ची।


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