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Minal Aggarwal

Romance

4  

Minal Aggarwal

Romance

प्रेम जीवन की धुरी

प्रेम जीवन की धुरी

1 min
224


मेरे भीतर 

निहित है 

प्यार की भावनाओं का 

एक बहुत ही गहरा समुंदर 

मेरे चेहरे से प्यार झलकता है 

मेरी आंखों से प्रेम बरसता है 

मेरे लबों से मोहब्बत का रस 

टपकता है 

मेरा तन, मन और रूह

सब प्रेम से ओतप्रोत 

प्रेम में डूबे 

प्रेम के प्यासे 

प्रेम में सराबोर 

प्रेम के सहारे 

प्रेम के जिज्ञासु 

मेरा दिल बस यह चाहे कि 

मेरे संग संग 

सबका जीवन 

मिल जुलकर 

बिना घृणा को साथ 

लिए 

एक दूसरे को साथ 

लिए 

एक दूसरे को थामे हुए 

प्रेम पूर्वक व्यतीत हो 

जिसको जितनी सांसें मिलें

जीने को 

वह प्रेम की भीनी भीनी सुगंध से 

भरी हो 

न कहीं से खाली हो 

प्रेम मिले सबको जीवन में 

कोई न इससे वंचित हो

प्रेम जो व्यक्ति करे और 

बदले में उसे प्रेम न मिले तो 

वह सबसे अभागा,

सबसे दुखी और 

सबसे बदकिस्मत 

प्रेम तो जीवन की 

धुरी

प्रेम के बिना यह जीवन 

एक बोझ

किसी भी प्रकार की खुशी का 

होना तो फिर लगभग 

असंभव 

प्रेम एक खुले आकाश में 

पंख फैलाये उड़ती 

चिड़िया 

बादल का टुकड़ा उसका 

दर्पण 

आकाश के रंग उसका 

यौवन

सूरज उसकी चमक 

चांद उसकी दमक 

बारिश की बूंदों की 

लड़ियां उसका 

सोलह श्रृंगार और 

आभूषण 

प्रेम की ऊंची उड़ान उसकी 

ताकत 

प्रेम को पाना 

पाते ही चले जाना 

बिना थके हारे 

जीत की आशा दिल में 

संजोए 

उसकी मंजिल 

प्रेम के बिना 

यह जीवन 

एक साकार रूप नहीं 

ले सकता 

प्रेम के बिना 

यह जीवन 

सांस नहीं ले सकता 

प्रेम की तस्वीर 

हर सूँ न दिखे तो 

जीवन एक कोरे कागज सा

एक खाली कैनवास सा 

बिना तस्वीर का 

बिना रंग का 

बिना प्रेम की 

एक महत्वपूर्ण भावना के 

अधूरा सा,

अकेला सा,

तन्हा सा

इस अनंत जीवन यात्रा के पथ पर।


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