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प्रधानमंत्री के नाम

प्रधानमंत्री के नाम

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ये मेरे पिताजी श्रीनाथ आशावादी द्वारा रचित रचना है,

जो उन्होंने विकलांग होने के बाद लिखी है।


मन तू साथी,

सब कुछ भूल कर ,

अंतर्मन से ध्यान करो।


प्रति दिन आयु

बढ़ती जाये ध्यान मग्न

प्राणायाम करो।


कलुष भाव को सदा मिटाकर

दिल से भय का नाश करो।


अपने को तू स्वस्थ बना कर

निज में ही प्रकाश भरो।


"मैं" ही सबसे ऊँचा है

तू "मैं " में अंतर्ध्यान धरो।


काम, क्रोध, मद, लोभ हटाकर

स्वयं की ही पहचान करो।


सारा जगत यह सपना है

तुम भली भांति यह देख रहे।


एक दिन सपना टूट जायेगा,

मानस में यह ज्ञान भरो।


मैं हूँ सुखी स्वाधीन जगत में

अब तो हूँ उन्मुक्त यहाँ।


यही सोच ना तनिक फिक्र है

मुझको अब निश्चिन्त करो।।

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