पर्दा
पर्दा
सलीखा पर्दे का भी अजीब रखा है।
हम दोनों ही हैं।
यहां बस और कोई पर्दा नहीं है।
फिर भी न जाने कितने पर्दों में खुद को छुपा रखा है।
न हया का पर्दा है ये, न वफा का पर्दा है।
और हर बात का इल्म है तुम्हें।
पर दुनियां की बातों से बचने के लिए।
तुमने पर्दे को जरिया बना रखा है।
सलीखा पर्दे का भी अजीब रखा है।
हर कोई कहता है, ये सच का पर्दा है।
पर कौन जानता है ये पर्दा सही है या खराब।
बहुत झूठे हैं यहां लोग, लेकिन सभी ने सच का पर्दा लगा रखा है।
सलीखा पर्दे का भी अजीब रखा है।
यहां सभी ने चेहरे पर, एक शराफत का पर्दा लगाया है।
पर सभी के चेहरे और दिल को मैने हमेशा ही अलग पाया है।
लेकिन बस वक्त ही है, जिसने सभी के पर्दों को हटा के रखा है।
सलीखा पर्दे का भी अजीब रखा है।