प्रार्थना
प्रार्थना
आओ हम सब निर्मल मन से, तन -मन- धन से सेवा करें।
और विनय करते हैं नित उठ, प्रभु इस महामारी से दूर करें।।
भाव सुमन अर्पित करते हैं, अंतर वेदना की पीड़ा हरो।
आपकी हो जाए कृपा अगर, कोरोना को सबसे दूर करो।।
रखते हैं नवरात्र व्रत, नित्य ह्रदय में धरके ध्यान।
बस एक ही सहारा इस जग का, अब न करो माँ परेशान।।
आपने ही तो रक्तबीज जैसे असुरों को है मारा।
हे ! जगदंबा अब एक बस तेरा ही सहारा ।।
आशा की ज्योति जलाकर रखें, नित करूँ तेरी आरती।
तुझ से ही अब आस लगी है, सबको तू ही उबारती ।।
अब एक बार और मात तुझसे "नीरज "की है प्रार्थना।
अब तक तूने ही तारे हैं, अब तुम ही खत्म करोगी कोरोना।।