प्लटोनिक प्यार
प्लटोनिक प्यार
मुझे पता नहीं कैसे कर लेते हो तुम
हर समय हर जगह एलान-ए-इश्क़
कुछ भी नहीं रख पाते हो ज़ब्त
उगल देते हो हर कुछ, हर जगह
सबको समझ लेते हो अपना
और सुना देते हो हरेक क़िस्सा !
मुझे देखो, कितना प्यार करती हूँ तुम्हें
दुनिया और ज़माने को तो छोड़ो
इसकी खबर तक नहीं मिलती तुम्हें
प्लटोनिक प्यार की परिभाषा जैसी !
जैसे तुम्हें उँगलियों, बाहों या आँखों के बदले
आत्मा में बसाया है मैंने छूने की चाहत के बदले,
तुम्हें महसूस करना ज़्यादा पसंद किया मैंने !
वैसा ही तुम भी करो, बसा लो मुझे अपनी आत्मा में
ताकि ये प्यार नश्वर शरीर के साथ नष्ट ना हो सके
और फिर हम दोनो हर जन्म में अपनी आत्मा में बसे
एक दूसरे के प्यार के रिश्तों को
जन्म-जन्मांतर तक महसूस कर सके !!