तुम बरसाती नदी के जैसे बहते हो मैं एक पत्थर के माफ़िक़ खड़ी रहती हूँ । तुम बरसाती नदी के जैसे बहते हो मैं एक पत्थर के माफ़िक़ खड़ी रहती हूँ ।
मुझे पता नहीं कैसे कर लेते हो तुम हर समय हर जगह एलान-ए-इश्क़। मुझे पता नहीं कैसे कर लेते हो तुम हर समय हर जगह एलान-ए-इश्क़।