पितृ पूजन
पितृ पूजन
जीते जी पूज लो पितृ को।
कभी उन के मन को ना दुखाना।
उनकी मृत्यु के बाद तो रह जाता है केवल पछताना।
साक्षात तीर्थ हैं पितृ तुम्हारे,
उनके ही कारण तुम धरती पर पधारे।
उनको सुख जो आज तुम दोगे।
अपने पाप तुम खुद धो लोगे।
उनकी दुआओं का असर तुम देखना।
तुम्हारे लिए उनकी फिक्र तुम देखना।
मानव तुम केवल मानव ही रहना।
मात पिता को कभी दुख ना देना।
केवल मरणोपरांत तर्पण जो करोगे।
उनको कौन सा सुख तुम दोगे?
जीते जी यदि उन्हें सुख ना दिया तो,
उनके मरणोपरांत ही तुम क्या कर लोगे?
जीते जी उन्हें प्रसन्न न किया,
तो मरणोपरांत जो भी तर्पण क्रिया तुम करोगे।
दुनिया की नजर में भले ही श्रवण कुमार तुम बन जाओ।
पर ऐसा करके कहीं तुम अपने मन को तो ना छलोगे?